यूपी की रिमी ने बेंच प्रेस में जीता खिताब

 

  • स्पेशल ओलंपिक्स भारत की पावर लिफ्टिंग नेशनल चैम्पियनशिप के दूसरे दिन देश भर के खिलाडियों ने जमकर की ज़ोर आज़माइश
  • 16 से 21 आयु वर्ग की 52 किलो वेट कैटेगरी में कर्नाटक की फातिमा और डेड लिफ्ट में कर्नाटक की फातिमातुल आफरीना रहीं प्रथम

कानपुर, 27 फरवरी। 26 फरवरी से 28 फरवरी 2024 तक चलने वाली स्पेशल ओलंपिक्स भारत की पावर लिफ्टिंग नेशनल चैम्पियनशिप (महिला एवं पुरुष) के दूसरे दिन सीएसजेएम यूनिवर्सिटी कानपुर के बहुउद्देशीय हॉल में रोमांचक मुकाबले हुए। स्पेशल ओलंपिक्स भारत की पावर लिफ्टिंग के नेशनल डॉयरेक्टर एंड खेल एक्सपर्ट राजशेखर के कुशल मार्गदर्शन में देश भर के खिलाडियों ने जम कर ज़ोर आज़माइश की। महिला वर्ग में 16 से 21 आयु वर्ग में 52 किलो वेट कैटेगरी में स्क्वाट में कर्नाटक की फातिमा फुल अफ़रीना 37.5 किलो के साथ प्रथम, महाराष्ट्र की झांसी निषाद 30 किलो के साथ द्वितीय उत्तर प्रदेश की रिमी 27.5 किलो के साथ तृतीय रही। वहीं बेंच प्रेस में उत्तर प्रदेश की रिमी प्रथम, कर्नाटक की फातिमातुल अफ़रीना द्वितीय व महाराष्ट्र की जांनसी निषाद तृतीय स्थान पर रही। डेड लिफ्ट में कर्नाटक की फातिमातुल आफरीना प्रथम, उत्तर प्रदेश की रिमी द्वितीय ,महाराष्ट्र की जांनसी निषाद तृतीय स्थान पर रही।

निर्णायक मंडल में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ट्रेनर बक्किआराज पॉण्डिचेरी से, अनिल नायक कर्नाटक से, विक्रम दिल्ली से, रूपल गुजरात से, लक्ष्मी कर्नाटक से, सुखविंदर पंजाब से और अजीत गुजरात से आये हुए है। प्रतियोगिता में प्रमुख रूप से संजीव पाठक कार्यक्रम संयोजक, मुकेश शुक्ला अध्यक्ष उत्तर प्रदेश स्पेशल ओलंपिक भारत, डॉ अभिषेक चतुर्वेदी सहसंयोजक डायरेक्टर एन एल के ग्रुप आदि उपस्थित रहे। प्रतियोगिता का समापन एवं पुरस्कार वितरण बुधवार दोपहर 3:00 बजे सांसद सत्यदेव पचौरी द्वारा किया जाएगा।

कानपुर के कुश भी दिखा रहे दमखम

इस प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश के लिए पदक के दावेदार कानपुर के अपने खिलाड़ी कुश चतुर्वेदी भी भाग ले रहे है। अद्भुत क्षमता के धनी कुश चतुर्वेदी आटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से प्रभावित 17 वर्षीय किशोर है। ऑटिस्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमे लोगों के दूसरों के साथ बातचीत करने, संवाद करने, सीखने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करता है। अक्सर इस अवस्था में संवेदनाओं के प्रति बहुत अधिक या बहुत कम प्रतिक्रियाएं देते हैं जिससे कभी उनका व्यवाहर असामान्य सा लगता है। ऐसी अवस्था में किसी बात पर ध्यान केंद्रित करना बड़ा कठिन होता है। अपनी इस विविधता के बावजूद कुश बचपन में कई खेल जैसे बैडमिंटन, हॉकी, रनिंग आदि खेलते हुए पॉवरलिफ्टिंग को प्राथमिकता दी। पिछले 4 वर्षों से पॉवरलिफ्टिंग में तन मन से लगे हुए है। कोवीड भी कुश के कदम नहीं रोक पाया। उन्होने अपना कठिन प्रण जारी रखा। अपनी प्रतिभा के बलबूते वो पिछली बार बर्लिन समर ओलिंपिक कैंप में ट्रेनिंग के लिए चुने गए थे। वो इस स्पेशल ओलंपिक्स भारत की पावर लिफ्टिंग नेशनल चैम्पियनशिप में अपनी श्रेणी में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे है।

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