ऑडियो वॉर के बाद अब यूपी क्रिकेट में फूटा लेटर बम

 

  • पूर्व भारतीय क्रिकेटर और यूपी की चयनकर्ता अर्चना मिश्र ने यूपी महिला क्रिकेट की महाप्रबंधक रीता डे पर लगाए गंभीर आरोप
  • अर्चना ने अकरम सेफी पर भी यूपी क्रिकेट में भ्रष्टाचार और सौदेबाजी के लगाए आरोप, सब कुछ जानते हुए भी राजीव शुक्ला के मौन पर भी जताया रोष 

कनपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट में सिलेक्शन में धांधली और सौदेबाजी को लेकर ऑडियो वॉर के बाद अब लेटर बम फूटा है। यह लेटर बम किसी और ने नहीं बल्कि पूर्व भारतीय खिलाड़ी और चयनकर्ता रह चुकीं अर्चना मिश्र ने फोड़ा है। उन्होंने मीडिया को संबोधित अपने लेटर में यूपी क्रिकेट के साथ ही महिला क्रिकेट में चल रहे गोरखधंधे का खुलासा किया है। अपने लेटर में उन्होंने यूपी महिला क्रिकेट की जीएम रीता डे के साथ ही राजीव शुक्ला के पीए और सहारनपुर से पूरे यूपी क्रिकेट को चला रहे अकरम सेफी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अर्चना ने यह लेटर बम उस ऑडियो के जवाब में लिखा है, जिसमें कथित तौर पर रीता डे उनके और एक भारतीय खिलाड़ी के कोच के संबंधों को लेकर अनर्गल बयानबाजी कर रही हैं।

अर्चना मिश्रा ने रीता डे पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इसमें हितों के टकराव के बावजूद यूपी क्रिकेट में असंवैधानिक तरीके से दो पद संभालने के साथ ही पद के दुरुपयोग का भिनारोप।शामिल है। अर्चना यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने अकरम सेफी पर भी।टीम सिलेक्शन से लेकर यूपी क्रिकेट के हर काम में दखलंदाजी और भ्रष्टाचार में लिप्तता के आरोप लगाए। उन्होंने राजीव शुक्ला को भी सब कुछ जानते हुए मौन रहने और भ्रष्टाचार होने देने के लिए कटघरे में खड़ा किया।

ये है अर्चना मिश्र का लेटर

अभी हाल में ही मिस रीता डे और मि. प्रदीप ओझा की बातचीत का ऑडियो सामने आया हैं जिसमें दोनों को परस्पर बातचीत करते सुना जा रहा है। मिस रीता डे एक अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकी हैं, कई वर्ष भारतीय टीम का हिस्सा भी रहीं हैं और यू पी सी ए की लाइफ टाइम मेम्बर भी हैं। वर्तमान में यू पी सी ए की महाप्रबंधक हैं, जो कि न्यायसंगत नहीं है और पूर्णतया ग़लत है। एक आजीवन सदस्य जिसे यू पी सी ए में वोट देने का अधिकार है उसी संस्था में वेतनभोगी महाप्रबंधक के पद पर नौकरी करना, यूपीसीए के नियम संख्या 38 का सरासर उल्लंघन है।

मिस रीता डे के द्वारा उक्त ऑडियो में मेरे चरित्र पर जिस प्रकार से गंदी एवं भद्दी भाषा का प्रयोग कर टिप्पणी की गई जो अत्यंत निन्दनीय एवं अत्यंत अशोभनीय है। जबकि मिस रीता डे बड़ी होने के नाते मैंने सदैव उनका आदर व मान रखा। कभी अशोभनीय भाषा का प्रयोग नहीं किया। लेकिन उनके बार बार इस प्रकार के मीडिया में प्रकाशित घृणित टिप्पणियों से नाराज एवं दुःखी होकर मुझे ये कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

मि प्रदीप ओझा जो कि पूर्व खिलाड़ी रह चुके हैं कुछ वर्षों तक यू पी सी ए में कार्यरत भी थे, मेरे भाई समान है। ऑडियो में मेरे बारे में जो टिप्पणी उनके द्वारा की गई, मुझे विश्वास नहीं हुआ, मुझे अत्यधिक आघात पहुंचा। 

मैंने यूपीसीए में जब जब सही दिशा में सही कार्य करना चाहा, तब तब रीता डे द्वारा मुझ पर अनर्गल टिप्पणी एवं भ्रामक खबर फैलाकर, तरह तरह के आरोप लगाकर मुझे बदनाम किया जाता रहा। 2014 एवं 2017 में उन्होंने इसी तरह मेरे बारे मैं भ्रामक खबर मीडिया में निकलवा कर घृणित कार्य किया, जिसकी लिखित शिकायत मैंने राजीव शुक्ला एवं सभी डाइरेक्टरों को भेजी थी, लेकिन उनके ख़िलाफ़ किसी भी तरह का कोई एक्शन न लेकर मामला रफा दफ़ा कर दिया गया और पुरस्कार स्वरूप यूपीसीए ऑफिस में महाप्रबंधक के पद पर आसीन किया गया।

शाबाश यूपीसीए के पदाधिकारी, कुछ भी कर सकते हैं । उन लोगों पर किसी भी प्रकार का एक्शन न लेने के कारण मैं यूपी छोड़कर पहले उत्तराखंड फिर अरुनाचल प्रदेश चली गई। वर्तमान में मैं यूपीसीए में आई सी ए के द्वारा अपेक्स कौसिंल की मेम्बर हूँ, मेरा यूपीसीए की महिला टीम से किसी भी प्रकार का जुड़ाव नहीं है। हाँ हाल ही में मैंने नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने शहर कानपुर में लड़कियों का एक क्लब (wonder’s) लिया है, ताकि मैं लड़कियों को क्रिकेट कोचिंग दे सकूँ और मैच खिला सकूँ। मेरा खेल के प्रति समर्पण शायद यूपीसीए के पदाधिकारियों को रास नहीं आ रहा है क्योंकि राजीव शुक्ला और उनकी टीम का स्वार्थ पूरा नहीं हो पाता है। मेरा पिछले पाँच वर्षों से यूपीसीए से किसी भी प्रकार का कोई जुड़ाव नहीं रहा है, फिर भी इस तरह के आरोप मेरे ऊपर लगाना रीता डे की ओछी मानसिकता का प्रतीक है।

मि. अकरम सैफी जो यूपीसीए की सहारनपुर ईकाई के निदेशक हैं और यूपीसीए पूर्व सचिव एवं बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला जी के पीए बीसीसीआई की तरफ़ से हैं और युद्धवीर सिंह पूर्व सचिव एवं निदेशक यूपीसीए उन्हीं के इशारों पर ऑफिस के कर्मचारी एवं सभी सिलेक्शन कमेटी के सदस्य कार्य कर रहे हैं, अन्यथा रीता डे जैसी चाटुकार जो नियमों को ताक पर रखकर इस तरह का घृणित कार्य करें, जिससे यूपीसीए के दामन को तार तार करने की साज़िश हो एवं निदेशकों की बदनामी हो और किसी भी प्रकार का एक्शन न हो, हास्यास्पद है। इन्ही लोगों की महत्वाकांक्षा एवं यूपीसीए में मनमानी को देखते हुए कई महिला एवं पुरुष इंटरनेशनल खिलाड़ियों को प्रदेश छोड़कर दूसरे प्रदेशों का परचम लहर रहे हैं जोकि प्रदेश के लिए बड़े दुख का विषय है। अकरम सेफ़ी का सभी अधिकारियों, सेलेक्टेरों, टीम कोच, मैनेजर यूपीसीए, कर्मचारियों व मेम्बरों पर इतना गहरा प्रभाव है कि कोई उनकी मर्जी के बिना कोई भी कार्य न कर सकते हैं, जैसे टीम का सेलेक्शन महिला / पुरुष, कैम्प का सेलेक्शन, कप्तान की नियुक्ति। यहाँ तक कि मैच मैं कौन 11 खिलाड़ी खेलेंगे क्योंकि इन सब कृत्यों से प्रदेश की टीम 2014 से पहले जैसा प्रदर्शन नहीं कर पास रही हैं।

जब टीमों के सिलेक्शन का समय आता है खिलाड़ी के पास अकरम सेफ़ी और युद्धवीर सिंह के दलाल संपर्क करते हैं जिसकी ऑडियो कई बार मार्केट में आती है परंतु राजीव शुक्ला की छत्रछाया अकरम सेफी एवं युद्धवीर सिंह के चाटुकार रीता डे जैसे लोग पर कार्यवाही नहीं होती है और खिलाड़ियों का दोहन करते रहते हैं। उत्तराखंड की टीम जो सिर्फ़ पाँच वर्ष पुरानी है, टी-20 के फाइनल में खेली, वहीं यू पी की टीम इतनी पुरानी टीम होने बावजूद कभी सेमीफाइनल तक नहीं पहुँचीं। यही कारण है कि यूपी की कि टीम कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पायी। देश मैं यूपी की टीमों मैं सबसे ज्यादा प्लेयस एक टूर्नामेंट मैं बदले जाते है जोकि दर्शाता है रीता डे और सिलेक्टरो के कराण अकरम सेफी और युद्धवीर सिंह जैसे लोग खिलाडियों से कितने बड़े स्तर पर दोहन कर रहे हैं।

नोट: खेल चौपाल इस पत्र की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

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