हर सहाय जगदम्बा सहाय इंटर कालेज में बही काव्य धारा

 

  • मुंशी प्रेमचन्द की जन्म जयंती और सावन की रिमझिम फुहारों के बीच काव्य रत्न साहित्यकारों ने श्रोताओं को गीत रस में भिगोया

कानपुर, 31 जुलाई। मुंशी प्रेमचन्द की जन्म जयंती और सावन की रिमझिम फुहारों के बीच कानपुर नगर के काव्य रत्न साहित्यकारों ने अपनी कविताओं से उपस्थित श्रोताओं को गीत रस में भिगोया। हर सहाय जगदम्बा सहाय इंटर कालेज में मां सरस्वती का माल्यार्पण व आशीर्वाद लेकर कवियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। डॉ विनोद त्रिपाठी ने,”जीवन सागर के तट पर आती है सुख दुख की लहरें।सोच रहा है मन का पाखी इन पर कैसे हम ठहरें।” सुरेंद्र गुप्ता सीकर ने,”घर के आंगन थिरकती रही बेटियां। सारे जग को खटकती रही बेटियां। ओढ़ कर नींद सारा जहां सो गया। राह पापा की तकती रहीं बेटियां।” श्याम सुंदर निगम द्वारा,” जब भी सावन कभी मुंह चिढ़ाने लगे। क्वारें सपनो को झूला झुलाया करो।” डॉ सुधांशु त्रिपाठी ने” चटकते मकान,भटकते इंसान, टूटते अरमान, लुटती अस्मतें, फूटती किस्मतें, बनी पहचान, सभी परेशान।” सुनाकर सभी को आह्लादित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्याम सुन्दर निगम और कुशल संचालन सुरेश गुप्ता राजहंस ने किया। स्वागत प्रधानाचार्य श्वेता गुप्ता और आभार सर्वेश तिवारी द्वारा किया गया। काव्य गोष्ठी में श्याम सुंदर निगम, डॉ विनोद त्रिपाठी, विद्याशंकर दीक्षित, डॉ अजीत सिंह राठौर लुल्ल कानपुरी, डॉ प्रेम स्वरूप त्रिपाठी, सुरेंद्र गुप्त सीकर, सुरेश गुप्ता राजहंस, श्वेता गुप्ता, डॉ सुधांशु त्रिपाठी, सर्वेश तिवारी, अलका द्विवेदी, सत्य प्रकाश तिवारी, अनूप शुक्ला, आशीष सिंह, पवन कुमार, अभिषेक मिश्रा, मानवेंद्र सिंह, सुनील निगम, मोहित भाटिया, ब्रजेश अवस्थी, ओ पी अवस्थी, सिमरन, आराध्या, श्रेजल, अमाया मौजूद रहे।

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