एपेक्स कमेटी की महिला सदस्य ने चरित्र उत्पीडन पर उठाया सवाल तो पुरुषों का दल हो गया हावी 

 

 

 

भूपेंद्र सिंह, कानपुर।

जबां दराजों को मशविरा है कोई न बोले, अजीब लुकनत पसन्द है हाकिम, जो चाहता है, जो सोचता है कोई न बोले!

देश के प्रसिद्ध शायर इमरान प्रतापगढी की ये पंक्तियां उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के दो पूर्व सचिवों पर बिल्कुल ही मुफीद बैठती है। समूचे क्रिकेट संघ के साथ ही अन्य लोग भी उनसे सवाल नही कर सकते। और यदि करने का साहस जुटा भी लें तो वह ज्यादा दिनों तक संघ के भीतर टिक भी नही सकता, क्योंकि उन्होंने संघ के लोगों पर साम- दाम- दण्ड -भेद वाली नीतियों को अपनाकर सबको अपने खेमे में कर लिया है। यही नही कुछ लोगों को तो पूर्व सचिव ने संघ के भीतर पूरी दखलन्दाजी करने की छूट भी दे रखी है। जिस समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बात कही जाती हो वहां पीडिता को ही दंडित करने की वकालत की जा रही है। संघ में पुरुषों के दल ने महिला का चरि‍त्र उत्पीडन करने वालों का साथ दिया और पीडिता पर पूरी तरह से हावी होकर खरी- खोटी सुनाने में कोताही नही बरती। इस बार बात संघ के भीतर ही एपेक्स कमेटी की सदस्य अर्चना मिश्रा के चरित्र उत्पीडन की को लेकर बढ गयी जिसकी शिकायत पीडिता ने दोनों पूर्व सचिवों राजीव शुक्ला के साथ ही युद्धवीर सिंह से की लेकिन उसपर किसी प्रकार का ध्यान नही दिया गया। मामला मीडिया तक आया तो दिल्ली और मेरठ में बैठे आकाओं के कान के पर्दे खुले और संघ से लेकर पीडिता तक फोन घनघनाने लगे। वह फोन भी केवल मीडिया में दिए गए कागजों को वापसी को लेकर किए जा रहे थे।

बतातें चलें कि बीते दिनों संघ के दो पूर्व कर्मचारियों (संघ की महाप्रबन्धक रीता डे और अकादमी के मैनेजर प्रदीप ओझा ) के बीच बातचीत का एक आडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ जिसमें पीडिता के चरित्र को उत्पीडन करने का भी जिक्र था। बस उसी मुददे ने संघ के भीतर चल रहे विवादों के बीच आग में घी डालने का काम कर दिया। गुरुवार को पीडिता ने संघ के पूर्व सचिवों को शिकायती पत्र भेजकर महाप्रबन्घक रीता डे के खिलाफ कार्यवाही को अंजाम देने की गुहार लगायी जिससे संघ परिवार के नाम से बनाए गए व्हा्टसऐप ग्रुप पर उनके खिलाफ ही हटाने की मुहिम छेड दी गयी । बाराबंकी वाले जावेद, साजिद, लतीफ, संजीव, तालिब और प्रेम मनोहर गुप्ता ने पीडिता को तीखे तेवर दिखाते हुए खरी खोटी सुनाई। अन्त में कोषाध्यक्ष प्रेम मनोहर गुप्ता ने ग्रुप से पीडिता को ही एक्जिट कर दिया। यही नही मेरठ के संजीव ने अर्चना मिश्रा के खिलाफ पोस्टं करते हुए लिखा कि ये बिलकुल भी शोभा नहीं देता, आपस की लड़ाई को इस ग्रुप में नहीं डाला जा सकता और सीधे सर को एड्रेस करना ये हिमायत नहीं होनी चाहिये। कोई शिकायत किसी से है तो आप upca सचिव से करें। रीता डे , युद्धवीर और राजीव कोई इस तरह कोई टाँट करे ये बर्दाश्त नहीं किया का सकता। इन लोंगो का upca में क्या योगदान है ये सब देख रहे हैं। राजीव ने पूरे upca को परिवार की तरह रखा है। upca सचिव को आगे बढ़ कर इस गुस्ताखी पे सख़्त से सख़्त करवाई करनी चाहिये। बहराइच जिला संघ के इशरत महमूद खान ने कसीदे पढते हुए अपनी पोस्ट में लिखा कि राजीव शुक्ला एवं युद्धवीर जिन्होंने यूपी सीए को शिखर तक पहुँचाया । मिस रीता डे ने महिला क्रिकेट के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया कुछ स्वार्थी अपने लाभ के लिए केवल आलोचना करना एवं प्रश्न उठाने काम करते रहते हैं। ऐसी महत्वहीन बातें भाव देने लायक नहीं हैं। अब अगर यह न रुका तो यूपी सीए परिवार को एक मत होकर इसे जवाब देना चाहिए। यूं तो राजीव शुक्ला एवं युद्धवीर से प्रश्न पूछने का औचित्य नही है। यदि कोई प्रश्न पूछना या उठाना है तो एपेक्स कोंसिल में उठाया जा सकता है या यूपीसीए के अवैतनिक सचिव से पूछना चाहिए। इस मामले में बात करने के लिए कोई भी पदाधिकारी तो छोडिए कर्मचारी भी तैयार नही है। जबकि पीडिता अपने चरित्र उत्पीडन के लिए न्याय की गुहार उठाने की बात लगातार कर रहीं है।

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