क्या यूपीसीए के चयनकर्ताओं की मजबूरी से चुना गया अंडर-19 टीम का कप्तान?

 

  • संघ के भीतर सहारनपुर के अमान को कप्तान बनाए जाने के पीछे कई तरह की अटकलें, ‘रसूखदार’ का ‘रिश्तेदार’ होने का मिला फायदा

कानपुर। उत्तर प्रदेश की अण्डर-19 बालकों की क्रिकेट टीम के कप्तान को चुने जाने पर अब संघ के भीतर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। कई प्रकार की चर्चाओं में टीम के कप्तान को लेकर क्रिकेट जगत में हो हल्ला मचा हुआ है। कई लोगों का मानना है कि यूपी की कमान पहली बार चयन प्रक्रिया में शामिल होने आए सहारनपुर के अमान खान को सौंपे जाने की मुख्य वजह संघ के सबसे रसूखदार सदस्य से उसकी रिश्तेदारी है जिसके चलते अमान को यह बडी जिम्मेदारी मिल सकी है। संघ के भीतर यह चर्चा भी है कि रसूखदार के रिश्तेदार को कमान देने के पीछे का मकसद सहारनपुर के क्रिकेट को प्रदेश में पहले स्थान पर काबिज करवाने का है।

मेरठ की जगह हावी हुआ सहारनपुर
प्रदेश की टीम में इससे पहले मेरठ क्रिकेट को संभालने वालों का जलवा कायम था। कभी एक समय में मेरठ के 6 से 7 खिलाड़ियों को टीम में शामिल करने का दबाव शायद चयनकर्ताओं पर रहता होगा या फिर कोई मजबूरी अब मेरठ को छोडकर सहारनपुर क्रिकेट के सर्वेसर्वा और संध के सबसे रसूखदार सदस्य अब वहां के खिलाड़ियों को टीम में स्थान दिला पाने में सफल होते दिखायी दे रहें हैं। इसके लिए प्रदेश की जूनियर क्रिकेट समिति में भी फेरबदल कई तरह के संकेत दे रहा है। बतातें चलें कि सहारनपुर में रहने वाले मोहम्मद अमान समेत कई खिलाडियों की गरीबी दिखाकर टीम में प्रवेश दिलाने के लिए बाकायदा निर्देश जारी किए जाते है। यही नहीं रसूखदार की पकड़ मीडिया जगत में भी बखूबी है जिसमें वह अपने कारखासों से इस क्रिकेटर के साथ ही तमाम क्रिकेटरों की गरीबी वाला बेंचमार्क दिखाकर उन्हें सब की नजरों से बचाने
का प्रयास भी करते हैं।

चयनकर्ताओं का चयन भी संदेह के घेरे में 
यह भी माना जा रहा है कि टीम में रिश्तेदारों को स्थान दिलवाने के लिए चयनकर्ताओं का चयन भी रसूखदार के दिशा निर्देश पर ही किया गया है। यूपीसीए का एक धडा जो रसूखदार के अहसानों तले दबा है वह भी दबे स्वर में इसका विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि प्रदेश के उदीयमान क्रिकेटरों को टीम में स्थान के साथ ही नेतृत्व पाने का मौका मिलना चाहिए। क्रिकेट जगत में चर्चा है कि जूनियर चयन समिति के पास ऐसी क्या मजबूरी थी जो 17 वर्षीय अमान के पहली बार चयन प्रक्रिया में शामिल होते ही उनके सामने आ गयी और उसे कप्तान जैसी बडी जिम्मेदारी सौंप दी गई। यूपीसीए के एक पदाधिकारी के मुताबिक रसूखदार का प्रभाव कार्यालय के कर्मचारी और चयनकर्ताओं के बीच जबरदस्त है और कोई भी विरोध करने की स्थिति में नही है। वहीं रसूखदार को आलाकमान पूर्व सचिव का वरदहस्त भी प्राप्त है। ऐसे में चयनकर्ताओं की मजबूरी हो सकती है। इस मामले में यूपीसीए के पूर्व उपाध्यक्ष मोहम्मद फहीम का कहना है इस बारे में कुछ बोल नही सकते।

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