एक विवाद सुलझाने के लिए कई विवाद और सवालों में फंस गया यूपीसीए

 

यूपीसीए सचिव ने पूर्व सचिव के खिलाफ नोटिस जारी करने से किया इंकार, वायरल नोटिस को बताया फर्जी

प्रदेश सरकार के साथ वाराणसी में स्टेडियम के लिए किए गए एमओयू से भी किया किनारा, सामान्य पत्राचार बताया 

कानपुर, 5 मार्च। पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) में चल रहे घमासान पर बुधवार को यूपीसीए सचिव ने प्रेसवार्ता कर विवाद सुलझाने का प्रयास किया, लेकिन इस एक विवाद को सुलझाते-सुलझाते वह कई और विवाद और सवाल खड़े कर गए। उन्होंने बताया कि पूर्व सचिव व निदेशक युद्धवीर सिंह के खिलाफ उनके हस्ताक्षर वाला नोटिस व अन्य पत्र पूरी तरह से फर्जी है। जिसके खिलाफ उन्होंने फजलगंज थाने में एफआईआर भी करा दी है। हालांकि उन्होंने पहले इस पर सफाई क्यों नहीं दी और अब क्यों दे रहे हैं, इसका जवाब वो नहीं दे सके। अंदरखाने चर्चा है कि यूपीसीए में अब भी वजूद रखने वाले कुछ बड़े पदाधिकारियों के दबाव में सचिव को यह प्रेसवार्ता बुलाकर स्पष्टीकरण देना पड़ा है। 

बुधवार को उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने निदेशक प्रेम मनोहर गुप्ता, उपाध्यक्ष मोहम्मद फहीम, संयुक्त सचिव रियासत अली व कई एपेक्स मेम्बर्स के साथ संयुक्त पत्रकार वार्ता की। उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक और विरोधी लोगों द्वारा इंटरनेट मीडिया पर लगातार यूपीसीए और बीसीसीआई के नामित पदाधिकारियों को मेरे फर्जी हस्ताक्षर बनाकर यूपीसीए के लेटर पैड पर गतिरोध उत्पन्न करने वाली बातें लिखी जा रही है। जिसका उनसे कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन की छवि को धूमिल करने के लिए जो भी व्यक्ति यह कार्य कर रहा है उसके खिलाफ दंडात्मक कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

नहीं किया गया कोई एमओयू, सरकार के साथ सिर्फ सामान्य पत्राचार
पत्रकार वार्ता में निदेशक युद्धवीर सिंह की ओर से एमओयू पर किए गए हस्ताक्षर पर सचिव ने कहा कि सरकार से बनारस स्टेडियम को लेकर कोई एमओयू नहीं किया गया है। एसोसिएशन सरकार के बीच सामान्य पत्राचार था। खेल निदेशक ने अगर इस के संदर्भ में कोई पत्राचार किया है तो अभी तक उसकी जानकारी मेरे पास नहीं है। यह बात कहकर उन्होंने एक नया विवाद खड़ा कर दिया, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भी एमओयू की बात कही गई है। फरवरी में लखनऊ में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में स्वयं युद्धवीर सिंह की मौजूदगी में यह एमओयू किया गया था। अब यूपीसीए के इससे मुकरने के बाद नए विवाद सामने आ सकते हैं। उधर, नोटिस में दर्ज कई गंभीर मुद्दों पर सचिव कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। ग्रीनपार्क स्टेडियम में आईपीएल मैच के आयोजन न होने पर उन्होंने पुराना घिसा-पिटा जवाब दोहराते हुए यहां होटल, अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट व कई खामियां बताकर किनारा किया, लेकिन इससे पहले भी दो मैचों के दौरान इस तरह की कोई समस्या नहीं हुई थी, इस सवाल पर जवाब नहीं दे सके। यूपीसीए में अजीवन सदस्य के पे-रोल पर काम करने को लेकर भी वह अपने उत्तर से संतुष्ट नहीं कर सके। इस अवसर पर मीडिया मैनेजर अहमद अली खान तालिब, सीईओ अंकित चटर्जी, दीपक शर्मा, शिवकुमार आदि मौजूद रहे।

नहीं मिले इन सवालों के जवाब
1. इस पूरे प्रकरण की शुरुआत जिस बनारस स्टेडियम को लेकर हुए एमओयू को फर्जी करार करने से हुई थी वह इस संबंध में जवाब नहीं दे सके।
2. सोशल मीडिया में जब पत्र वायरल हुआ तो उन्होंने किसी का भी फोन नहीं उठाया था, आज जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने खुद को ताजा-ताजा सचिव बताते हुए नम्बर फोन में सेव नहीं होने का हवाला दिया।
3. प्रेसवार्ता के एक दिन पहले ही क्यों एफआईआर करायी गई, जबकि पत्र को वायरल हुए कई दिन हो गये तो वह इसका भी जवाब न दे सके बस अपना उसे फर्जी बताते रहे।

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