खेल चौपाल अभियानः कोई लौटा दे मेरे वो पुराने पार्क
- केसीए को कोशिशों के बाद भी समय से नहीं मिलते मैदान
- अक्टूबर में अभी भी खेले जा रहे लीग मुकाबले
- खिलाड़ी लीग मैच खेलने के लिए जाते हैं दूसरे जनपद
अशोक सिंह, कानपुर।
कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन (केसीए) की केडीएमए क्रिकेट लीग भी शहर में खत्म हो रहे मैदानों की खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। बीते कई सालों से केसीए की लीग समय से सम्पन्न नहीं हो पा रही है। हर साल उसका सत्र गड़बड़ा जाता है। वर्तमान में भी उसकी लीग का अंतिम चरण चल रहा है। अक्तूबर माह के दस दिन हो गए हैं, अभी भी केसीए की ऑफिस लीग के मुकाबले खेले जा रहे हैं। हालांकि इस ग्रुप को छोड़कर अन्य ग्रुपों के फाइनल मुकाबले खेले जा चुके हैं। उन्हें भी सितंबर माह के आखिरी दिनों तक इसका इंतजार करना पड़ा था। केसीए का दावा है कि वह प्रदेश की नहीं बल्कि देश की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग कराती है। ऐसे में उसके मैचों की संख्या काफी बढ़ जाते हैं। उसे समयबद्ध ढंग से सम्पन्न कराने के लिए अधिक मैदानों के साथ ही समय से उनकी उपलब्धता सुनिश्चित हो यह जरूरी होता है। पर ऐसा नहीं हो पाता है। इसका एक प्रमुख कारण है कि शहर के बीच में स्थित कई मैदान अब खेलने लायक नहीं बचे हैं। ऐसे में उपलब्ध मैदानों पर ही केसीए को निर्भर रहना पड़ता है। इन मैदानों पर मैचों का बोझ भी बढ़ जाता है। ऐसे में इन मैदानों को मैटेन रखना भी बड़ी चुनौती बन जाता है।
अधिकांश क्लबों के मैदान हो गए खत्म
केसीए से अपना क्लब आबद्ध कराने के लिए पहले होम ग्राउंड की शर्त थी। इस कारण से अधिकांश क्लबों के पास अपने मैदान थे। जिन पर हर रोज नेट्स पर अभ्यास भी होता था। पर अब ऐसे क्लबों की संख्या न के बराबर है, जो हैं भी वह एकेडमी के दम पर जिन्दा हैं। इन क्लबों के मैदान खत्म होने से शहर के दूसरे मैदानों पर इसका बोझ बढ़ गया। इन क्लबों के पुराने मैदानों को फिर से जिन्दा यानि खेलने लायक बनाने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं, जो परेशानी में इजाफा ही करते जा रहे हैं।
अब हर क्रिकेटर चाहिए टर्फ विकेट
क्रिकेट खेलने वाला खिलाड़ी की उम्र चाहे जितनी कम हो, पर उसे टर्फ पिच पर ही खेलना है। यह खराब बात नहीं है लेकिन इसका निर्माण और रखरखाव महंगा होता है। जो हर ग्राउंड पर संभव नहीं है। इसकी वजह से शहर के कई मैदानों से क्रिकेट उजड़ गया। अब थोड़ा से उबड़-खाबड़ या घास रहित मैदानों पर ये क्रिकेटर खेलना नहीं चाहते हैं। इस वजह से शहर टर्फ विकेट वाले मैदानों पर क्रिकेट मैचों का बोझ बढ़ा रहता है। कानपुर में क्रिकेट खेलने लायक मैदानों की कमी के चलते केसीए को दूसरे जनपद का भी रुख करना पड़ता है। कानपुर से सटे उन्नाव जिले के शुक्लागंज थाना क्षेत्र में पड़ने वाले दो से तीन मैदानों पर केसीए अपने लीग मैच कराता है। इन मैदानों पर केसीए की निर्भरता बढ़ती जा रही है। हालांकि यह मैदान शहर से दूर पड़ते हैं, कई बार खिलाड़ी दबी जुबान से इसका विरोध भी करते हैं। केसीए के पास भी इन मैदानों पर मैच कराने के अलावा अन्य कोई दूसरा उपाय नहीं है। ऐसे में वह खिलाड़ी की नाराजगी को दरकिनार करके मैच करा रहा है। आईये जानते हैं कि कानपुर में क्रिकेट खेलने लायक उपलब्ध मैदान केसीए को क्यों समय से उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
शौकिया खेलने वाले पहले ही बुक कर लेते हैं मैदान
शहर में शौकिया क्रिकेट खेलने वालों की जमात बहुत बढ़ गई है। वे हर शनिवार और रविवार को क्रिकेट खेलते हैं। इसके लिए वे सीजन शुरू होने से पहले ही शहर के कई मैदान को एडवांस पैसा देकर साल भर के लिए रविवार की बुकिंग करा लेते हैं। इसको देखकर कई मैदान के कर्ताधर्ताओं ने मैदान के रेट बढ़ा दिए हैं।
संडे की बुकिंग अब पड़ती है भारी
कानपुर में स्थित कई मैदानों के प्रबंधन ने रविवार की मांग को देखते हुए मैदान का किराया बढ़ा दिया है। शौकिया लोगों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। वे अच्छा खासा कमा रहे हैं, इसलिए आसानी से पेमेंट कर देते हैं। इसका खामियाजा केसीए को भुगतना पड़ता है। उसे संडे की बुकिंग नहीं मिल पाती है। ऐसे में उसे वर्किंग डे में मैच कराने पड़ते हैं। पढ़ने वालों बच्चे क्लास छोड़कर फिर मैच खेलते हैं।
केसीए को सत्र रेगुलाइज करने होंगे उपाय
कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन (केसीए) को अब अपना सत्र रेगुलाइज करने के लिए उपाय करने होंगे। हर साल इतना विलंब ठीक नहीं है। केसीए प्रबंधन इसको लेकर खासा चिन्तित भी है। खासकर चेयरमैन डॉ. संजय मलिक कपूर ने सत्र रेग्लुर करने के लिए कहा। प्रतियोगिता सचिव को इसकी पहले से ही तैयारी करने की हिदायद दी गई है। केसीए ने इस पर संजीदा ढंग से मंथन शुरू कर दिया है।