यूपीसीए के 13 अधिकारियों को बीसीसीआई लोकपाल का कारण बताओ नोटिस, मान्यता रद्द करने की मांग

 

 

 

 

  • कार्यकाल और आयु-सीमा उल्लंघन के आरोप, चार सप्ताह में जवाब की तैयारी

 

कानपुर, 10 अक्टूबर।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के लोकपाल ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) के 13 शीर्ष अधिकारियों को गंभीर आरोपों के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शिकायत में यूपीसीए की बीसीसीआई मान्यता रद्द करने की मांग उठाई गई है, जिसमें कार्यकाल सीमा और 70 वर्ष की आयु सीमा के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। यह मामला क्रिकेट प्रशासन में पारदर्शिता की कमी को उजागर कर रहा है।

नियमों की धज्जियां उड़ा रहे पदाधिकारी

शिकायतकर्ता ने बीसीसीआई नियम 3(बी) के तहत लोकपाल को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि यूपीसीए के कई पदाधिकारी और निदेशक बिना किसी रोक-टोक के लंबे समय से पद पर काबिज हैं। मुख्य आरोप इस प्रकार हैं:

कार्यकाल की निर्धारित सीमा का बार-बार उल्लंघन।

70 वर्ष से अधिक आयु होने के बावजूद पदों पर बने रहना।

संविधान द्वारा तय पारदर्शिता, जवाबदेही और चुनावी प्रक्रिया की अनदेखी।

बीसीसीआई संविधान के अनुसार, राज्य संघों के पदाधिकारियों का कार्यकाल सीमित है और 70 वर्ष की आयु के बाद पद छोड़ना अनिवार्य है। शिकायत में कहा गया है कि इन नियमों की लगातार अवहेलना से क्रिकेट प्रशासन कमजोर हो रहा है।

चार सप्ताह में लिखित उत्तर जरूरी

लोकपाल ने शिकायत को प्रारंभिक जांच में गंभीर पाते हुए यूपीसीए के 13 अधिकारियों को नोटिस भेजा है। सभी प्रतिवादियों को निर्देश दिए गए हैं कि नोटिस मिलने के 4 सप्ताह के अंदर अपना लिखित जवाब, दस्तावेज, स्पष्टीकरण और साक्ष्य लोकपाल को सौंपें। नोटिस यूपीसीए के आधिकारिक ईमेल और वेबसाइट के माध्यम से भेजा गया है। यदि जवाब संतोषजनक न मिला, तो आगे की कार्रवाई में मान्यता रद्द करने का फैसला हो सकता है।

यूपीसीए की चुप्पी

अभी तक यूपीसीए की ओर से इस नोटिस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। संघ से जुड़े एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि संगठन कानूनी विशेषज्ञों के साथ मिलकर जवाब तैयार कर रहा है और सभी आवश्यक दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। यूपीसीए ने कहा है कि वे बीसीसीआई नियमों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं, लेकिन विवरण साझा करने से इनकार कर दिया।

मान्यता पर खतरा

क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आरोप सिद्ध हो गए, तो यूपीसीए की बीसीसीआई मान्यता पर संकट आ सकता है। इससे उत्तर प्रदेश में क्रिकेट विकास, स्टेडियम प्रबंधन और खिलाड़ी उन्नयन पर बुरा असर पड़ेगा। यूपीसीए ने लंबे समय से भारतीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहां से कई बड़े सितारे निकले हैं। यह मामला बीसीसीआई की आंतरिक सुधार प्रक्रिया को नई दिशा दे सकता है।

क्रिकेट जगत में हलचल

अब सभी की नजरें यूपीसीए के जवाब पर हैं। अगले चार सप्ताह निर्णायक होंगे, और लोकपाल का फैसला भारतीय क्रिकेट के प्रशासनिक ढांचे में नई मिसाल कायम कर सकता है। यह घटना राज्य संघों में नियमों के सख्त पालन की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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