यूपीसीए में जिला असंतुलन की उठी आवाज़

 

 

 

  • एक ही जिले पर प्राथमिकता, बाकी जिलों में बढ़ा असंतोष

 

भूपेंद्र, कानपुर।

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (UPCA) के 41 जिला संघों में असंतोष की लहर देखने को मिल रही है। आरोप है कि कुछ जिलों को लगातार आयोजन, वित्तीय सहायता और संसाधनों में प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि अन्य जिलों को बराबरी के अवसर नहीं मिल रहे।

सूत्रों के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू टूर्नामेंटों के आयोजन में एक ही जिला बार-बार मुख्य भूमिका में रहा। बाकी जिलों को न आयोजन का मौका मिला और न ही ठोस सहयोग। कई पदाधिकारी मानते हैं कि यह “समान अवसर” की नीति के विपरीत है और संघ में असंतुलन पैदा कर रहा है।

क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि जबकि कुछ तर्क यह दिया जाता है कि इस जिले में मैच आयोजन प्रबंधन क्षमता अधिक है, लेकिन अन्य जिलों में भी पर्याप्त अनुभव और संसाधन हैं। संघ के अंदर भी कई पदाधिकारी मानते हैं कि निजी स्वार्थ या किसी एक जिले पर मेहरबानी न होना चाहिए।

जिला संघ अब खुलकर यह कहने लगे हैं कि सभी को बराबर मौके मिलने चाहिए, ताकि समरूपता बनी रहे और संघ में विश्वास कायम रहे। सवाल यह है कि क्या यूपीसीए नेतृत्व इस असंतुलन को सुधार पाएगा या क्रिकेट की राजनीति में यह स्थिति और गहराएगी।

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