नरेंदर की मेहनत और भरोसे पर खरी उतरी तनविका

 

 

  • 7 वर्ष पहले पूर्व रणजी खिलाड़ी और क्वालीफाइड कोच नरेंदर से जुड़ी थी तनविका
  • आज यूपी अंडर-15 टीम में जगह बनाकर कोच समेत परिवार को दिया खुशी का मौका

कानपुर। जिस तरह सोना आग में तपकर निखरता है, उसी तरह एक क्रिकेटर भी अपने प्रशिक्षक की कड़ी मेहनत के कारण ही निखरकर सामने आता है। कानपुर की तनविका गुप्ता का सफर भी कुच ऐसा ही है। तनविका का चयन उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) की अंडर-15 टीम में हुआ है। तनविका बाएं हाथ की मध्यम गति की गेंदबाज होने के साथ-साथ एक बल्लेबाज भी हैं। उनकी इस सफलता के पीछे कोच की कड़ी मेहनत, उनकी टेक्निक को सुधारने में बिताए सैकड़ों घंटे और उसकी प्रतिभा पर किए गए भरोसे के नतीजा है। ये कोच कोई और नहीं, बल्कि पूर्व रणजी क्रिकेटर और क्वालीफाइड कोच नरेंदर सिंह हैं। तनविका की सफलता को कानपुर के लिए गौरव बताते हुए नरेंदर खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं।

अलग से की मेहनत तो दिखा नतीजा
नरेंदर ने बताया कि तनविका ने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया था, तभी उसके पिता ने उसे उनके सुपुर्द कर दिया था। वह उन चुनिंदा खिलाड़ियों में एक है, जिन्हें नरेंदर अपनी एकेडमी में अलग से कोचिंग देते हैं। नरेंदर के मुताबिक, तनविका जिस तरह की खिलाड़ी है उसका सेलेक्शन होना ही था। विगत 7 वर्ष पहले उसके पिता उसे लेकर मेरे पास आए थे। वो उसे बड़ी खिलाड़ी बनाना चाहते थे। मैंने उसकी प्रतिभा देखी, मुझे भी लगा कि यह कानपुर ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के क्रिकेट फलक का सितारा बन सकती है। तब से उस पर मेहनत शुरू की और आज नतीजा सबके सामने है। एकेडमी में मैंने उसकी टेक्निक पर काम किया। उसने भी सीखने की ललक दिखाई और दिए गए हर शेड्यूल को दिल से पूरा किया। मुझे खुशी है कि आज तनविका ने मेरी दी हुई ट्रेनिंग पर खरे उतरते हुए अपने सपने को साकार किया है। उम्मीद है कि वह न सिर्फ कानपुर, बल्कि उत्तर प्रदेश का नाम भी रोशन करेगी।

खिलाड़ियों का सपना पूरा कर रहे नरेंदर
नरेंदर सिंह एक्स रणजी क्रिकेटर हैं। वह सर्विसेज की ओर से रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं और भारतीय टीम के कई दिग्गजों के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर कर चुके हैं। क्रिकेट और नौकरी से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने कानपुर में बड़े खिलाड़ी तैयार करने का बीड़ा उठाया। केडीएमए, सर पद्मपत सिंहानिया स्कूल और क्रिकेट एकेडमी के माध्यम से उन्होंने कई खिलाड़ियों को उनका सपना पूरा करने में मदद की। इस समय वह अपनी स्वयं की क्रिकेट एकेडमी चला रहे हैं, जिसमें प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को निखारकर उन्हें यूपीसीए और भारतीय क्रिकेट के दरवाजे तक ले जाना उनका सपना है।

Leave a Comment