यूपी टी20 का चमकता सितारा बना स्वास्तिक चिकारा 

 

  • यूपी टी20 लीग में अब तक तीन सेंचुरी जमा चुके हैं चिकारा, परिवार में चार पीढ़ियों से खेला जा रहा है क्रिकेट 

कानपुर। ग्रीन पार्क स्टेडियम में चल रहे यूपी टी20 लीग में स्वास्तिक चिकारा का नाम खूब चमक रहा है। स्वास्तिक चिकारा ने बीते शुक्रवार को ग्रीन पार्क स्टेडियम में कानपुर सुपर स्टार्स के खिलाफ खेलते हुए 57 गेंद पर 13 चौके और तीन छक्कों की मदद से नाबाद 100 रनों की पारी खेली। हालांकि उनकी यह पारी मेरठ टीम के लिए भले ही काम ना आई हो लेकिन उनकी बल्लेबाजी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। क्रिकेट के प्रति उनका जुनून ऐसा है की मात्र 167 गेंदों पर 55 चौकों व 52 छक्कों की मदद से 585 रनों का विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले स्वास्तिक चिकारा ने यूपी टी-20 लीग में पहला शतक भी बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। स्वास्तिक का सपना इंडिया टीम से देश के लिए क्रिकेट खेलना है।
मूल रूप से हरियाणा के छेदी अंतर निवासी सुरेंद्र सिंह चिकारा दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं, लेकिन सुरेंद्र सिंह 1988 से अपनी फैमिली के साथ गाजियाबाद के मुरादनगर में रह रहे हैं। परिवार में पत्नी सुधा तीन बेटियां और एक बेटा है। सुरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके बाबा महा सिंह एक नेशनल एथलीट थे जो अंग्रेजों के घोड़े के साथ दौड़ते थे। उनके पिता हरबीर सिंह नेशनल एथलीट थे और वह खुद इंटरनेशनल एथलीट है। अब चौथी पीढ़ी में स्वास्तिक क्रिकेट में नाम रोशन कर रहा है।

5 साल की उम्र से खेल रहा क्रिकेट
सुरेंद्र सिंह ने बताया कि स्वास्तिक जब 5 साल की उम्र में था, तब से वह क्रिकेट खेल रहा है। उसके खेल को देखते हुए हम लोगों ने सोचा कि अब इसे क्रिकेट में ही आगे बढ़ाना है। इसलिए घर पर ही स्वास्तिक के लिए 12 पिच तैयार की, जिसमें से आठ पिच टर्फ और चार पिच सीमेंटेड है। घर पर कोच मोनू उसे प्रशिक्षण देते हैं। सुरेंद्र सिंह ने बताया कि स्वास्तिक की लाइफ में अधिवक्ता पिंटू राम शर्मा का एक बड़ा योगदान है, क्योंकि वह खुद एक क्रिकेटर है। भले ही वह इंडिया टीम के लिए नहीं खेल पाए लेकिन उनके अंदर क्रिकेट का ऐसा प्रेम है कि वह क्रिकेट को लेकर कुछ भी कर सकते हैं। उनका सपना भारतीय टीम में खेलने का था लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया। इसलिए उन्होंने इस सपने को पूरा करने के लिए स्वास्तिक की हर संभव मदद की और उसे आगे बढ़ाया।

बेटे की सफलता में मां का संघर्ष
स्वास्तिक चिकारा को जब भी कहीं ट्रायल देने के लिए जाना पड़ता था तो पिता दिल्ली पुलिस में होने के कारण अधिकतर समय उनका दिल्ली में ही रहता था, लेकिन मां सुधा स्वास्तिक को लेकर हर ट्रायल में जाती रही। गाजियाबाद से लेकर नोएडा, कानपुर, लखनऊ जहां भी ट्रायल हुआ वहां पर बेटे को लेकर सुधा पहुंची। उसी का नतीजा है कि ट्रायल में बेहतर प्रदर्शन दिखाकर स्वास्तिक ने यूपी टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे।

 

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