सचिव के फर्जी हस्ताक्षर मामले में जांच करवाने से कतरा रहा प्रदेश क्रिकेट संघ 

 

कानपुर। यूपीसीए सचिव के लैटरहेड पर जारी हस्ताक्षर वाले मामले में प्रदेश क्रिकेट संघ अभी भी जांच करवाने से बचता नजर आ रहा है। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है कि 30 सितम्बर को संघ की वार्षिक आम सभा के बाद ये मामला भी अन्य मामलों के जैसे ही ठन्डे बस्ते में चला जाए। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अरविन्द श्रीवास्तव के लैटर हेड पर खिलाफ उन्ही के हस्ताक्षर को लेकर जारी चिटठी से अभी तक कोहराम जारी है। जहां एक ओर लैटर हेड में किए गए हस्ता्क्षर को लेकर चली फॉरेंसिक जांच पूर्णतया सही पाई गई थी और माना जा रहा था कि अब पूर्णतया ईमानदारी और पार‍दर्शिता दिखाते हुए संघ के आलाधिकारी किसी ठोस निर्णय पर पहुंच सकेंगे लेकिन लोगों की यह अवधारणा कोरी साबित हो गयी। वहीं दूसरी ओर इस मामले में क्राइम ब्रान्च तथ्यों की जांच पर अभी भी अपना काम कर रही है। यूपीसीए की ओर से कोई कदम नही उठाया जा सका है। क्राइम ब्रान्च ने इस मामले में कई लोगों से पूछताछ भी की है जिसमें संघ के आलाधिकारी व पूर्व सचिव का नाम प्रमुखता से आने के संकेत भी प्राप्त हुए हैं। ये अलग बात है कि प्रभावशाली रुतबे के चलते वह अपने बयान दर्ज करने के लिए समय पाने में सफल रहे हैं। लैटर हेड मामलें में पूर्व सचिव का नाम शामिल होने से पूरे यूपीसीए समेत बीसीसीआई तक में हडकम्प मचा हुआ है लेकिन वहां से भी किसी प्रकार के निर्देश संघ को जारी नही किए जा सके हैं।

हस्ताक्षरित पत्र में किए गए थे सवाल
गौरतलब है कि बीते 6 महीने पूर्व यूपीसीए के सचिव अरविंद श्रीवास्तव के हस्ताक्षरित एक पत्र में पूर्व सचिव के खिलाफ नोटिस जारी किया था। जिसमें पूर्व सचिव से उनके कूलिंग पीरियड में रहते हुए प्रदेश सरकार के साथ स्टेडियम निर्माण को लेकर एमओयू करने पर सवाल खडा करते हुए पूछताछ की थी। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव ने सचिव अरविन्द श्रीवास्तव के किए इस कृत्य पर कड़ी नाराजगी जताते हुए आला अधिकारियों से मामले को रफा-दफा कराने की गुहार लगायी थी। इस पर उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा चुका था। गौरतलब है कि जिनके खिलाफ नोटिस जारी किया गया था उन्होंने पुलिस से आवेदन कर उनके हस्ताक्षर की फॉरेंसिक जांच की मांग की थी जिस पर अमल करते हुए बीएफआई के माध्यम से वह जांच करवाई और सचिव अरविंद श्रीवास्तव के हस्ताक्षर पूर्णतया सही पाए गए थे। इसमें फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. आदर्श मिश्र के मुताबिक यूपीसीए के पूर्व सचिव को 28 मार्च को भेजे गए नोटिस और प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए भेजे गए आमंत्रण पत्र पर किए गए दोनों ही हस्ताक्षर एक ही व्यक्ति के थे। पूर्व सचिव को नोटिस भेजने के बाद वह उस बात से मुकर क्यों गए थे। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि संघ की छवि धूमिल होते देख आला अधिकारियों ने उन पर हस्ताक्षर चोरी किए जाने का किसी पर भी आरोप लगाकर दबाव बनाने का काम किया था ।

उपाध्यक्ष ने नहीं उठाया फोन
पूर्व सचिव ने नोटिस पर उठाए गए बिंदुओं की गंभीरता और सच्चाई को देखते हुए सचिव पर अनेतिक दवाब बनाया और रोकने के लिए अज्ञात के नाम एफआईआर करने को बाध्य किया था ताकि MCA और बीसीसीआई द्वारा इस नोटिस को गंभीरता से लिए जाने पर यूपीसीए पर होने वाली कार्यवाही को रोका जा सके जिसमे पूर्व सचिव सफल भी हो गए थे । इस मामले में यूपीसीए के उपाध्यक्ष ने फोन कॉल रिसीव नहीं की जिससे उनसे बात नहीं की जा सकी।

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