खेल चौपाल अभियानः कोई लौटा दे मेरे वो पुराने पार्क
- इन्दिरा पार्क, जहां जमती थी कभी शहर के शानदार क्रिकेटरों की महफिल
- जैसे बाग बिना पंछी के उजाड़, वैसा ही बिन खेलों का पार्क
- पार्क अब देखने और टहलने लायक हो गया है बहुत अच्छा
- शास्त्रीनगर क्लब ने बनाया था पांडुनगर में अपना नया ठिकाना
अशोक सिंह, कानपुर।
कभी क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेल से गुलजार रहने वाला इन्दिरा पार्क अब सिर्फ टहलने या घुमने लायक ही रह गया है। पार्क इतना हरा-भरा है कि सभी का दिल मोह लेता है। पुराने दौर के खेल प्रेमियों को यहां से खेल खत्म हो जाना का उतना ही मलाल है। वे कहते हैं कि वह भी क्या दौर था जब यहां शानदार क्रिकेटरों की महफिल जमती थी। एक से एक बढ़िया मैच देखने को मिलते थे। उस दौर से सभी बड़े खिलाड़ियों ने इस पार्क में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करके लोगों का दिल जीत लेते थे। अब यह सब गुजरे जमाने की बात हो गई है। पर यह सब याद आता है तो दिल को बहुत कटौचता है।
शास्त्रीनगर वेलफेयर सेन्टर पार्क में जन्म लेने वाला शास्त्रीनगर स्पोर्टिंग क्लब में खेलने वाले अधिकांश खिलाड़ियों को एक साथ ज्वॉब मिल गया। वे दूसरे शहर में नौकरी करने चले गए। तब तक पांडुनगर में भी नए उम्र के कई क्रिकेटर उभर रहे थे। ऐसे में शास्त्रीनगर स्पोर्टिंग क्लब ने पांडुनगर के इन्दिरा पार्क को अपना नया ठिकाना बनाकर प्रैक्टिस शुरू कर दी। अब यहां धीरे-धीरे क्रिकेट की महफिल जमने लगी। शाम होते ही माहौल क्रिकेट में रम जाता था। फिर क्या था उस दौर के माहौल को आज बयां करना मुश्किल है। तब कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन की लीग उस दौर में राधेश्याम के नाम से खेली जाती थी।
शास्त्रीनगर स्पोर्टिंग के खिलाड़ी एक बार फिर इधर-उधर हुए तो क्लब एक तरह से बंद ही हो गया। इसके बाद स्टारलेट ने इसे अपना होमग्राउंड बना लिया। फिर से वही दौर दिखने लगा। यहां पर कई टूर्नामेंट खेले गए। उन टूर्नामेंट में कई-कई रणजी प्लेयर भी खेलने आते थे। देखने वालों की भीड़ लग जाती थी। स्टारलेट के बाद कुछ समय के लिए ग्रांट क्रिकेट क्लब ने भी इसको अपना होमग्राउंड बनाया। इसके बाद लोकल ब्वायज ने भी यहां पर नॉन अप्लेटेड क्रिकेट के टूर्नामेंट के जरिए जिन्दा रखा। सन् 2000 आते-आते यहां पर क्रिकेट ने दम तोड़ दिया। अब सिर्फ इसको याद करने वाले लोग ही बचे हैं।
पार्क की बर्बादी, पानी की टंकी से हुई शुरुआत
क्षेत्र वासियों की प्यास बुझाने के लिए के लिए इन्दिरा पार्क में पानी की टंकी का निर्माण की शुरुआत होते ही खेल के बुरे दिन शुरू हो गए। क्रिकेट के लिए मैदान पहले ही थोड़ा छोटा था, बाद में पानी की टंकी बन जाने से क्रिकेट खेल लायक मैदान बचा ही नहीं। ऐसे में खिलाड़ियों ने दूसरे मैदानों का रुख किया। यही वह दौर था जब कोचिंग और पढ़ाई पर अभिभावकों का ज्यादा फोकस था। बाद में इसे पूरी तरह से बगिया में तब्दील कर दिया गया।
बाबा सज्जन सिंह के नाम होता प्रतिष्ठित टूर्नामेंट
इन्दिरा पार्क में बाबा सज्जन सिंह के नाम से प्रसिद्ध क्रिकेट टूर्नामेंट होता था। यह टूर्नामेंट इतना प्रसिद्ध हो गया था कि इस मैदान को लोग बाबा सज्जन सिंह के नाम से ही जानने लगे थे। इस टूर्नामेंट में केसीए उस दौर की सीनियर डिवीजन की टीमें प्रतिभाग करती थीं। जिनमें प्रमुख रूप से कानपुर स्पोटर्स, कानपुर क्रिकेटर्स, आईईएल (डंकन), पैराशूट, लाल इमली, नेशनल और एमयूसी जैसी टीमें शामिल थीं। उस दौर में टीवी पर मैच कम ही देखने को मिलते थे। ऐसे में यह टूर्नामेंट ही लोगों को अपनी ओर खींच लेता था।
क्रिकेट मैच देखने के लिए लगती थी भीड़
पांडुनगर के इन्दिरा पार्क में जब क्रिकेट मैच खेला जाता था तब दर्शकों की भीड़ लग जाती थी। पास ही में गणेश शंकर इंटर कॉलेज होने की वजह से छुट्टी के बाद छात्र भी बड़ी संख्या में पहुंच जाते थे। भीड़ देखकर खिलाड़ियों के भी हौसले बढ़ जाते थे। बाबा सज्जन सिंह टूर्नामेंट में नेशनल क्लब की तरफ से उस दौर में खेलने वाले निर्मल सिंह ने बताया कि टूर्नामेंट में खेलने गर्व की बात होती थी। टूर्नामेंट जीतने के लिए हर क्लब के खिलाड़ी सब कुछ झोंकते थे। अब ऐसा बहुत कम टूर्नामेंट में देखने को मिलता है।
Interesting blog! Is your theme custom made or did you download it from somewhere? A theme like yours with a few simple tweeks would really make my blog shine. Please let me know where you got your theme. Appreciate it