उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की चयन प्रक्रिया को बदलने का समय आ गया है

 

संजय दीक्षित, कानपुर।

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की चयन प्रक्रिया को बदलने का समय आ गया है। जिस प्रकार संगठन की पूर्व सदस्य रही अर्चना मिश्रा ने जो भी बातें कहीं है यह सभी बातें संगठन की चयन प्रणाली के विषय में प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा करती हैं। पिछले वर्षों में भी बहुत सी बातें कुछ खिलाड़ियों के द्वारा चयन प्रक्रिया के विषय में कहीं गई है, वह भी प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए चिंता का विषय बनता चला जा रहा है। गाजियाबाद में भी चयन प्रक्रिया को लेकर ऐसा ही विवाद सुनने को मिला था। 2 वर्ष पहले एक जज के बेटे का प्रकरण लोग भूले नहीं हैं। जिस तरह से यह अखबारों में छाया हुआ था और उसमें जिन लोगों के नाम सामने आए थे, यह सब दिखाता है कि कहीं ना कहीं उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को अपनी चयन प्रणाली को बदलने का समय आ गया है। संगठन के ऊपर इधर 5 वर्षों से जो आरोप लग रहे हैं उससे उसकी छवि खराब हुई है। कहीं न कहीं खिलाड़ियों का भी भरोसा काम हुआ है। इस भरोसे को दोबारा कायम करने के लिए चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने होगी। ऐसी चयन प्रक्रिया हो, जिसमे किसी तरह का सवाल न उठे। मसलन, संघ को ट्रायल बंद कर देने चाहिए। जिला संगठनो की लीग में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट तैयार होनी चाहिए। इससे चयनकर्ताओं की मुश्किल काफी हद तक कम हो जायेगी। जिला क्रिकेट एसोसिएशन अपने खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस जिस दिन मैच हो उसी दिन यूपीसीए को भेजें और साल भर की परफॉर्मेंस को देखकर उन 30 खिलाड़ियों का कैंप लगाकर उनमें से टीम बनानी चाहिए, क्योंकि तीन दिन के ट्रायल में कभी भी किसी खिलाड़ी की उपयोगिता को नहीं समझा जा सकता है।

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन जो मैच कराता है उन पर भी सवाल उठते हैं। विजय मर्चेंट ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम के जो हालात हुए हैं, यह हालत कहीं ना कहीं इस और इशारा करटी है की कुछ तो गड़बड़ है। इसीलिए चयन प्रक्रिया को बदलने का समय आ गया है। चयन प्रक्रिया के साथ ही चयनकर्ताओं के चयन की प्रक्रिया को भी बदलना होगा। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चयनकर्ता जिलेवार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा नए-नए खिलाड़ियों का आंकलन करें, फिर इसके आधार पर चयन करके खिलाड़ियों को जिले के लिए सिलेक्ट करें। अच्छे खिलाड़ियों का लगातार आंकलन किया जाए और यदि वो कंसिस्टेंट हो तो फिर उसे राज्य स्तरीय टीम में मौका मिले। मैं नहीं कहता कि चयन प्रक्रिया यही हो, लेकिन यूपीसीए इस समय जिस तरह के नाजुक दौर से गुजर रहा है उसे कुछ तो ऐसा करना होगा ताकि फिर।से।खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों को इस पर फिर से एतबार हो सके, वरना जिम्मेदारों की ये उपेक्षा कहीं प्रदेश युवाओं को क्रिकेट से दूर न कर दे।

लेखक पूर्व क्रिकेटर हैं और अभी भी क्रिकेट क्लब से जुड़े हुए हैं।

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