शुभमन गिल इस समय के भारतीय क्रिकेट की खोज कहे जा सकते हैं। उनकी तकनीक और साहस के आगे अब गेंदबाज भी हार मानने लगे हैं। कुछ-कुछ वैसा ही, जैसे एक समय सचिन और विराट के सामने गेंदबाज झुकने को मजबूर हो जाते थे। शनिवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबा मिशेल स्टार्क ने रिवर्स स्विंग प्राप्त करते हुए अपने स्पेल में एक गेंद 139 किमी प्रति घंटे की गति से राउंड द विकेट कोण से डाली। शुभमन गिल के लिए लेग साइड में डीप में दो कैचर मौजूद थे और शायद वह भी शॉर्ट गेंद की उम्मीद कर रहे थे। हालांकि गेंद कहीं शॉर्ट और गुड लेंथ के बीच थी। गिल ने अपने ही अंदाज में गेंद को क्रीज़ में खड़े खड़े सीधे बल्ले से गेंद को शॉर्ट मिडविकेट और डीप स्क्वायर लेग के ठीक बीच प्लेस करके चार रन बटोर लिए। इस शॉट ने गिल को 51 से 55 तक पहुंचाया। स्टार्क ने मुस्कान के साथ हार मान ली। इस मुस्कान में उतना आदर था जितना अविश्वास। मैच के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान गिल ने बताया कि यह शॉट उनके शुरुआती सालों में पुल और हुक खेलने की आदत से जन्मा है। उन्होंने कहा, “मैंने बाउंसर खेलने का अभ्यास सीमेंट पर प्लास्टिक गेंद से खेलते हुए किया। जब गेंद थोड़ी भी फ़ुल आती तो मैं यह शॉट अपने-आप से खेल देता। इसके पीछे कई घंटों का अभ्यास है।”
अगर आप गिल की पूरी बल्लेबाजी को देखें, तो उनकी शैली काफी हद तक पुल शॉट के आस-पास केंद्रित है। वह क्रीज पर अपने कद का पूरा उपयोग करते हैं और बल्ले को ऊपर रखते हुए पूरी तरह से स्थिर रहते हैं। इस सेटअप से वह आसानी से पुल कर सकते हैं और उसे नियंत्रित भी रख सकते हैं। ऐसे में अगर गेंद ऑफ स्टंप के बाहर थोड़ी भी शॉर्ट हो, तो वह आसानी से गेंद को प्वाइंट या कवर के बीच भी मार सकते हैं। यह शॉट कट और पंच के बीच में कुछ है, लेकिन एक और खासियत है उनके बल्लेबाजी की। आप को लग सकता है कि शायद ऐसी शैली के चलते वह अक्रॉस द लाइन खेलते हुए फंस सकते हैं, लेकिन उनकी स्थिरता और संतुलन के चलते ऐसा होता नहीं।
स्टार्क के खिलाफ उस शॉट के बाद कैमरन ग्रीन ने एक ऑफ और मिडिल पर फुल गेंद के साथ गिल को पगबाधा करने की कोशिश की। गिल का बल्ला सीधा आया और गेंद अपने-आप उसे लगकर मिडऑन और मिडविकेट के बीच के गैप को चीरती हुई निकल गई। ग्रीन अपने हाथों में सिर को पकड़कर देखते ही रह गए। अहमदाबाद की पारी गिल द्वारा एक अद्भुत प्रदर्शन साबित हुआ। उन्होंने 235 गेंदों के दौरान केवल 10 ऐसी गेंदें खेली जिसमें वह नियंत्रण में नहीं थे। टेस्ट के तीसरे दिन उनसे उम्मीद ही यही थी कि अगर वह एक घंटा टिक गए तो कम से कम 100 तो बना ही जाएंगे। आखिर इस सीरीज़ से पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी सात पारियां थी 116, 208, 40*, 112, 7, 11 और 126*।
गिल को पहले दो टेस्ट मैचों में पूर्व उपकप्तान के एल राहुल की वजह से बाहर बैठने पर कहा, “मैं 2021 में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (फाइनल) के बाद चोटिल हो गया था और इसके बाद केएल भाई ने अच्छी बल्लेबाजी की और इस जगह को अपना बनाया। उन्होंने इंग्लैंड में शतक जड़ा था और सच पूछिए तो मैं तब तक अपने टेस्ट प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं था।” गिल ने माना कि उन्होंने अपनी मानसिकता पर काम किया ताकी वह अपने स्टार्ट को कंवर्ट करने में बेहतरी हासिल करें। इस दौरान उन्होंने घर पर न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध 52, 1, 44 और 47 की पारियां खेली। जुलाई 2022 में उन्होंने बर्मिंघम में भी 17 और 4 के स्कोर खड़े किए। उन्होंने कहा, “मुझे लगा मैं सेट होकर बड़ा स्कोर बनाने की सोच रखते हुए ज़्यादा सुरक्षात्मक खेल खेलने लगा था। यह मेरा गेम नहीं है। मैं सेट होने पर लय पकड़ लेता हूं और यही मेरा गेम है।
अहमदाबाद में गिल ने अपने अंदाज में ही बल्लेबाजी जारी रखी। वह गिल ही थे जिन्होंने दूसरे दिन के आख़िरी ओवर में क़दमों का इस्तेमाल करते हुए नेथन लायन की गेंद पर छक्का लगाया। वह भी गिल थे जिन्होंने 90 गेंदों में एक प्रवाहमय अर्धशतक को अंजाम दिया। जब तीसरे दिन लंच के बाद स्टीवन स्मिथ और ऑस्ट्रेलिया ने सुरक्षात्मक रणनीति अपनाई, तब 53 गेंदों पर केवल नौ रन बनाने वाले बल्लेबाज़ भी गिल ही थे। टेस्ट क्रिकेट में पर्याप्त समय रहता है और अहमदाबाद जैसे विकेट पर तो यह और भी स्पष्ट होता है। गिल की बल्लेबाज़ी में भी समय रुकता हुआ दिखता है और इसे वह फ़ुल स्लीव में बल्लेबाज़ी करते हुए और आसान बना डालते हैं। अहमदाबाद में पिछले दो दिनों में एक आभास है जो कुछ महीनों से क्रिकेट के दुनिया में दिख रहा है और अब और स्पष्ट होता जा रहा है। यह गिल का समय है और यह तो उनके युग की महज शुरुआत है।