- संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन का आरोप
- 9 वर्ष की सीमा पार करने के बावजूद उपाध्यक्ष पद पर बने रहने का आरोप
- बीसीसीआई संविधान की धारा 6(5)(f) और 3(b)(1)(i) के उल्लंघन की बात
- यूपीसीए में पदों के दुरुपयोग और हितों के टकराव का भी उल्लेख
- शिकायतकर्ता ने राजीव शुक्ला से सभी सुविधाएं वापस लेने की मांग की
कानपुर, 1 जुलाई। क्रिकेट प्रशासन में पारदर्शिता और संविधान के पालन को लेकर एक अहम मोड़ सामने आया है। बीसीसीआई के वर्तमान उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला के खिलाफ औपचारिक शिकायत बीसीसीआई के ओम्बड्समैन के समक्ष दर्ज कराई गई है। शिकायतकर्ता अनुराग मिश्रा ने मांग की है कि श्री शुक्ला को तत्काल प्रभाव से अयोग्य घोषित किया जाए क्योंकि उन्होंने बीसीसीआई के संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का घोर उल्लंघन किया है।
आरोपों की गंभीरता:
शिकायत में यह स्पष्ट किया गया है कि श्री शुक्ला का बीसीसीआई में कुल कार्यकाल 10 वर्ष हो चुका है, जबकि संविधान के तहत अधिकतम 9 वर्ष की सीमा निर्धारित है। इसके बावजूद वे दिसंबर 2023 के बाद भी पद पर बने हुए हैं।शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि:श्री शुक्ला ने यूपीसीए में 14 वर्षों तक सचिव और 17 वर्षों तक निदेशक के रूप में कार्य किया। उनके दस्तावेजों में जन्म तिथि को लेकर विसंगति है (PAN और राज्यसभा रिकॉर्ड में भिन्नता)। 2022 में KYC में गड़बड़ी के चलते वे निदेशक पद से अयोग्य घोषित किए जा चुके हैं।
दोहरे मापदंडों का आरोप:
शिकायत में यह भी कहा गया है कि बीसीसीआई द्वारा नियमों को चुनिंदा तौर पर लागू किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी को 70 वर्ष की आयु में हटाए जाने की तैयारी की जा रही है, जबकि श्री शुक्ला के खिलाफ कार्यकाल सीमा का पालन नहीं किया जा रहा।
शिकायतकर्ता ने चार प्रमुख मांगें रखी
1. राजीव शुक्ला को दिसंबर 2023 से अयोग्य घोषित किया जाए।
2. उन्हें अध्यक्ष पद की कार्यवाहक भूमिका से रोका जाए।
3. पद से हटने के बाद मिली सभी सुविधाएं वापस ली जाएं।
4. संविधान का समान और निष्पक्ष पालन सुनिश्चित किया जाए।
दस्तावेज और साक्ष्य
शिकायत के साथ सभी प्रासंगिक दस्तावेज, शिकायत की प्रतिलिपि, कार्यकाल का विवरण और KYC विसंगतियों के प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए हैं।