ग्रीनपार्क समेत पूरे यूपी में खेल प्रशिक्षुओं और प्रशिक्षकों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य

 

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  • खेल विभाग का बड़ा फैसला, कोचिंग की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम
  • सोमवार से पूरे प्रदेश में लागू होगी बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली

 

कानपुर, 31 मई

उत्तर प्रदेश खेल विभाग ने कोचिंग व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बड़ा कदम उठाया है। ग्रीनपार्क स्टेडियम समेत प्रदेश भर के सभी सरकारी खेल केंद्रों में प्रशिक्षकों और प्रशिक्षुओं की बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। यह नियम सोमवार से प्रभावी होगा।

कोचों की लापरवाही अब सीधे वेतन पर पड़ेगी असर

उत्तर प्रदेश के संयुक्त निदेशक (खेल) आर.एन. सिंह ने सभी क्षेत्रीय खेल अधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देशित किया है कि अब कोचों, खासकर तदर्थ (एड-हॉक) प्रशिक्षकों की उपस्थिति बायोमेट्रिक सिस्टम से अनिवार्य की जाए। जो कोच उपस्थिति दर्ज नहीं कराएंगे, उनके मासिक पारिश्रमिक में कटौती की जाएगी।

दिन में दो बार भेजना होगा उपस्थिति का विवरण

ग्रीनपार्क क्रीड़ा संकुल के मुताबिक, उपस्थिति का ब्यौरा सुबह 11 बजे और शाम 5 बजे खेल निदेशालय को भेजना अनिवार्य होगा। जिन जिलों में बायोमेट्रिक मशीनें नहीं हैं या खराब हैं, उन्हें तीन दिन के भीतर मशीन लगवाने अथवा ठीक कराने के निर्देश दिए गए हैं।

फर्जी पंजीकरण पर लगेगी लगाम

आर.एन. सिंह ने बताया कि कई जिलों में शिकायतें मिल रही थीं कि कोच बिना प्रशिक्षु के ही वेतन ले रहे हैं। कुछ कोच फर्जी पंजीकरण कराकर पारिश्रमिक प्राप्त कर रहे थे। अब यह बायोमेट्रिक व्यवस्था ऐसे मामलों पर रोक लगाएगी।

नाम न छापने की शर्त पर एक तदर्थ कोच ने माना कि कई कोच बिना प्रशिक्षुओं के कैंप स्वीकृत कराते हैं और बायोमेट्रिक से यह संभव नहीं होगा।

हर केंद्र पर प्रशिक्षु संख्या की निगरानी होगी संभव

खेल निदेशक आर.पी. सिंह ने कहा, “यह प्रणाली न सिर्फ प्रशिक्षकों बल्कि प्रशिक्षुओं की उपस्थिति पर भी नजर रखेगी और हमें प्रदेश के 71 जिलों में सक्रिय प्रशिक्षुओं की संख्या जानने में मदद करेगी।”

खेलो इंडिया कोच और पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी दायरे में

यह व्यवस्था 72 खेलो इंडिया कोचों और 10 पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों पर भी लागू होगी, जो वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न खेल केंद्रों में प्रशिक्षण कार्य में लगे हैं। प्रदेश में कुल 360 कोच कार्यरत हैं जो 312 खेलों में प्रशिक्षण दे रहे हैं।

सार्वजनिक उपयोग करने वालों से भी शुल्क की मांग उठी

एक कोच ने यह सवाल भी उठाया कि जब कोच और प्रशिक्षु की उपस्थिति अनिवार्य है, तो स्टेडियम में टहलने या मुफ्त में सुविधाएं लेने वालों से भी शुल्क लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई लोग स्टेडियम को जॉगिंग पार्क की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि किसी प्रकार की कोई शुल्क नहीं दे रहे।

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