- यूपीसीए के आला कमान के तेवरों से एपेक्स काउंसिल के सदस्यों में दहशत
- एपेक्स काउंसिल का दावा-यूपीसीए में राजीव शुक्ला को चुनौती देकर जेके ग्रुप ने संभाली कमान
कानपुर। रविवार को झांसी में पयूपीसीए की एपेक्स काउंसिल की बैठक आहूत हुई। बैठक में गजब नजारा देखने को मिला। एक तरफ जहां काउंसिल के सदस्यों में यूपीसीए के आलाकमान का डर देखने को मिला तो वहीं कथित रूप से जेके ग्रुप ने इस बैठक को सुरक्षा उपलब्ध कराई, जिसे काउंसिल के सदस्य बड़ी जीत मान रहा है।
एपेक्स काउंसिल की सदस्य और पूर्व भारतीय खिलाड़ी अर्चना मिश्र ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि रविवार को झांसी में प्रस्तावित एपेक्स काउंसिल में शामिल होने के लिए निधिपति सिंघानिया जी के आदेशानुसार उत्तम प्रसाद केसरवानी एवं उनके सिक्योरिटी गार्डों के साथ झांसी में भाग लिया। काउंसिल पर अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए एक घंटा पूर्व डायरेक्टरों की बैठक हुई ताकि उनके द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रमों पर अपने साये में सभी प्रस्ताव पर एपेक्स की बैठक पर मोहर लगाई जा सके। हर बार एपेक्स की बैठक में कैमरे के पीछे से युद्धवीर सिंह बैठ कर एपेक्स की बैठक की कार्यवाही पर नियम विरुद्ध पूरी निगरानी रखते हैं। डायरेक्टर्स अपनी बैठक के बाद चुपचाप मीटिंग हाल से बाहर चले गए और किसी से कोई वार्ता नही की और न ही मेरे अभिवादन का जवाब दिया। उन्होंने बताया कि यूपीसीए के लिए बडे दुर्भाग्य की बात है की अधिकतर सदस्य आज भी राजीव शुक्ला, अकरम सेफी और युद्धवीर सिंह के आदेशों का इंतजार करते हैं।
पेंशन के मुद्दे पर बात
उन्होंने आगे बताया कि मैने एपेक्स काउंसिल की बैठक में शामिल होकर 31 बिंदुओं पर सभी का ध्यान आकर्षित किया, जिसमे यूपीसीए में हो रहे गंभीर अनियमितताओं के मुद्दो पर भी आवाज उठाई। उत्तर प्रदेश के पूर्व खिलाड़ियों के लिए पेंशन का मुद्दा उठाया, जिस पर सभी ने गंभीरता दिखाई। पेंशन योजना बीसीसीआई ने बनाई है और सभी प्रदेश अपने खिलाड़ियों को उनके परफॉर्मेंस के आधार पर देते है, परंतु उत्तर प्रदेश हमेशा उससे किनारा करता रहता है। कुछ वर्ष पहले इस मुद्दे पर निदेशक युद्धवीर सिंह ने ये कह कर पल्ला झाड़ा था की हम एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है इसलिए पेंशन नहीं देंगे। सोसाइटी या कंपनी से तो खिलाड़ियों को मतलब नहीं है। उन्होंने अपनी प्रभुता कायम करने के लिए कंपनी बनाई है। इस वजह से खिलाड़ियों को उनके हक से क्यों वंचित रखा जाए। यूपीसीए को तुरंत कंपनी से सोसाइटी में बदलना चाहिए, ताकि खिलाड़ियों को उनका हक मिल सके।
सिलेक्शन कमेटी को हटाने की मांग
उन्होंने बताया कि सिलेक्टर के उपर कमेटी बनाने के प्रस्ताव पर मैने विरोध किया और कहा जब सेलेक्टरो पर आपको भरोसा नहीं है तो उनको बदलिए न की उनके ऊपर कोई कमेटी गठित की जाए। इस कमेटी से सिलेक्शन में हो रहा भ्रष्टाचार तो रुक नही रहा है, इसलिए सिलेक्शन समिति को तुरंत बदलने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि सभी फॉर्मेट की टीमों के साथ 15 से 18 की जगह 22 से 28 लोग जाते है, जिससे यूपीसीए पर अतिरिक्त खर्चे का भार पड़ता है जबकि बीसीसीआई सिर्फ 15 खिलाड़ियों का पैसा देती है। इस होने वाले खर्चे को खिलाड़ियों को दी जाने वाली सुविधाओ और कैम्प लगाकर बेहतर सुविधाएं दे सकते हैं। इससे सिलेक्शन में होने वाले भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी और यूपीसीए को दलालों से मुक्ति मिलेगी। रोटेशन पर सभी पूर्व खिलाडियों को उनके टैलेंट के अनुसार जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए।
रीता डे की बर्खास्तगी का समर्थन
उन्होंने बताया कि बैठक में महिला क्रिकेट की महाप्रबंधक रीता डे द्वारा जो ऑडियो क्लिप जारी की गई थी इससे मेरे चरित्र हनन की कोशिश की गई है, उस पर सभी ने एक मत होकर उनकी यूपीसीए से सेवाएं बर्खास्त करने का समर्थन किया। उन्होंने बताया कि रीता पर उठाए सवाल और आरोपों पर आलाकमान ने कहा की डिसिप्लेन कमिटी को आपकी शिकायत भेज दी है। उसका निर्णय बता दिया जाएगा। इस पर मेरे द्वारा जब पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नही दिया, परंतु फाइनल जवाब राजीव शुक्ला और युद्धवीर सिंह की सहमति पर छोड़ दिया। तब मैने कहा यदि आप लोग 15 दिसंबर तक निर्णय नहीं लेंगे तो मैं पुलिस में एफआईआर करने के लिए विवश हो जाऊंगी।
रीता डे को बचाने का लगाया आरोप
उन्होंने कहा कि राजीव शुक्ला और युद्धवीर की टीम सभी आरोपों को यह कह कर खारिज करने में माहिर है की आवाज डब की गई है परंतु रीता डे के मामले में मेरे द्वारा फॉरेंसिक जांच करा कर रिपोर्ट भी जमा करा दी गई है। अतः शक की गुंजाइश ही नहीं रह जाती, इसलिए राजीव शुक्ला और युद्धवीर सिंह ने रीता डे को बचाने के लिए डिसिप्लिनरी समिति का सहारा लिया है, जबकि समिति प्लेयर्स के लिए गठित की गई थी। जब मैंने खिलाड़ियों और यूपीसीए मैं फैले भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया तब मुझे बोलने से रोक दिया गया और मेरा माइक बंद कर तुरंत आनन फानन में वोट ऑफ थैंक्स दे कर मीटिंग को समाप्त कर दिया गया। जो इनके अंदर की हताशा को बंया करता है।
झांसी के प्रतिनिधिमंडल ने की शिकायत
उन्होंने बताया कि झांसी क्रिकेट एसोसिएशन का एक बड़ा प्रतिनिधि मंडल जेके ग्रुप के प्रतिनिधि उत्तम प्रसाद केसरवानी से मिला और राजीव शुक्ला एवं युद्धवीर सिंह की मनमानी की शिकायत की। उन्होंने बताया कि उनकी एसोसिएशन को हटा कर अपने चहेते जो सिलेक्शन समिति के 6 साल चेयरमैन भी रहे है और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं। उन्होंने बताया में कि अरविंद कपूर की अगुवाई में अनैतिक रूप से नई एसोसिएशन को बना दिया। उत्तम प्रसाद केसरवानी ने प्रतिनिधि मंडल की शिकायतों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वाशन दिया। जब बृजेन्द्र जी ने यूपीसीए के पदाधिकारियों से अपनी बात करने की बात की तब सभी ने मिलने से किनारा किया और पिछले दरवाजे से निकलने की फिराक में रहे। झांसी क्रिकेट एसोसिएशन के बड़े प्रतिनिधि मंडल के साथ बड़ी संख्या में प्रेस मीडिया के लोग भी थे।