कानपुर। उत्तर प्रदेश एथलेटि।क्स एसोसिएशन को आखिरकार जिले के संक्रमण रोग ने अपनी चपेट में ले लिया। हालांकि यह रोग काफी पहले ही लग गया था। इसके लक्षण लोगों को वार्षिक आम सभा में साफ दिखाई दिए। पहले एथलेटिक्स संघ की जिला इकाई में गुटबाजी और दो संघ की अवधारणा दिखती थी लेकिन जिस तरह से बीते रविवार को उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स एसोसिएशन के हुए चुनाव में जो कुछ हुआ और जो आरोप लगे हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है यह मामला काफी आगे तक जाएगा, क्योंकि जिस तरह से पूर्व अध्यक्ष के साथ ओलंपिक संघ के पदाधिकारी ने बैठक के बीच में छोड़ कर चले गए हैं. यह सामान्य घटना नहीं है।
कई पूर्व खिलाडियों का कहना है कि संघ पर कुछ लोग अपना वर्चस्व बनाये रखना चाहते हैं, इसी लिए यह सब एसोसिएशन पर कब्जा जमा रखने के लिए किया गया। उन्हें खेल के विकास की कतई चिंता नहीं है। नए चुने गए उपाध्यक्ष और पूर्व सचिव कई सालों से पहले संघ पर हावी हैं, लेकिन शहर में खेल की दशा क्या है यह सबके सामने है। खिलाडियों को प्रैक्टिस के लिए कोई मैदान नहीं बचा है। उनके सामने ही डीएवी का ग्राउंड छिन गया। शहर में सिर्फ कुछ पब्लिक स्कूल के भरोसे एथलेटिक्स की गतिविधियाँ चल रही है। खेल कैसे आगे बढ़ेगा जब पदाधिकारी सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी का दर्द भी झलका
उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स एसोसिएशन के चुनावी बैठक को बीच में छोड़कर जाने वाली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी का दर्द एक पत्रकार के सवाल पर झलक ही पड़ा। उसने साफ कहा कि यह लोग खेल को कैसे आगे बढ़ायेंगे जब उन्हें हमने कभी खेल की किसी गतिविधि में देखा तक नहीं है। उनके कहने का मतलब शायद यह था कि उनका खेल से कोई लगाव होता तो वह कहीं ना कहीं खेल की गतिविधियों में जरूर दिखते। ऐसे में उनका खेल को बढ़ाने में क्या विजन होगा सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। चुनाव में हो रही धांधली को देखते हुए उन्होंने बीच में छोड़कर जाना ही बेहतर समझा।
एक मैदान को तरस रहे हैं खिलाड़ी
शहर के खिलाड़ी एक मैदान के लिए तरस रहे हैं। बिना अभ्यास के कोई कैसे बड़ा खिलाड़ी बन सकता है। शायद यह बात एसोसिएशन के पदाधिकारियों को समझ में नहीं आती है तभी तो बीते कई सालों से खिलाड़ी इससे महरूम हैं। संघ को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। यह हाल तब है जब उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स एसोसिएशन का मुख्यालय कानपुर में ही है। बीते कई सालों से यहीं के रहने वाले महासचिव के पद पर रहे हैं। रविवार को हुए नए चुनाव में भी यहीं के डॉ. देवेश दुबे को महासचिव चुना गया है। हालांकि चुनाव धांधली का आरोप भी हैं। एसोसिएशन के पदाधिकारियों की उपेक्षा के चलते ही बीते कई सालों से शहर का कोई भी खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर नहीं उभर सका। इसका मुख्य कारण अभ्यास के लिए कोई मैदान का न होना और कोचिंग की व्यवस्था न होना।